बिहारी के दोहे – Bihari Ke Dohe in Hindi | बिहारी सतसई के प्रसिद्ध दोहे और उनका अर्थ

बिहारी के दोहे – Bihari Ke Dohe in Hindi | बिहारी सतसई के प्रसिद्ध दोहे और उनका अर्थ

परिचय: बिहारी और उनकी रचनाएँ

बिहारीलाल (1603–1663) हिंदी साहित्य के महान कवियों में से एक थे। उनकी प्रसिद्ध रचना “बिहारी सतसई” में लगभग 700 दोहे शामिल हैं, जो प्रेम, नीति, समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं को अत्यंत सुंदर तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
बिहारी के दोहे छोटे जरूर हैं, लेकिन उनमें गहराई, व्यंग्य और दर्शन का अद्भुत समावेश है।


प्रेम पर बिहारी के दोहे (Love Dohe by Bihari)

१.
नयनन में बदरा छाए, तन मन उमसि उठे आय।
बीती हुई बिसरी गई, अब कैसे रहूँ न जाय॥
अर्थ: प्रेम में विरह की भावना जब जागती है, तो हृदय में बादलों की तरह बेचैनी छा जाती है।

२.
सतगुरु भया न साचो, साचो न भया सनेह।
बिहारी मन तज्यो, जो न बोले नेह॥
अर्थ: सच्चा प्रेम वही है जिसमें दिखावा न हो, और जो हृदय से अनुभव किया जाए।

३.
साखी कहौं सखी साँच कहूँ, हृदय गम न कहि जाय।
ज्योँ लखि लखि रसना हँसे, त्यों बिनु कहे मुँह हाय॥
अर्थ: प्रेम की अनुभूति को शब्दों में बाँधना कठिन है, वह तो केवल अनुभव किया जा सकता है।


नीति पर बिहारी के दोहे (Moral Dohe by Bihari)

४.
जैसे करनी करि करि फल सोई।
जैसे बीज बोवै तैसे फल होई॥
अर्थ: जैसा कर्म हम करते हैं, वैसा ही परिणाम हमें प्राप्त होता है।

५.
बड़ों बड़ाई न कीजिए, जो होय तो निबाह।
छोटों से भी सीख लीजिए, जो दे सिखावन वाह॥
अर्थ: ज्ञान किसी से भी प्राप्त हो सकता है, चाहे वह छोटा ही क्यों न हो।


जीवन पर बिहारी के दोहे (Life Dohe by Bihari)

६.
दिन दहाड़े चोरी करे, राति बटोरे धन।
बिहारी ऐसा कौन है, जो न होवे जन॥
अर्थ: संसार में कोई ऐसा नहीं जो अपनी स्वार्थ सिद्धि में न लगा हो।

७.
रसिक रीति रस जाना, जो रसना रस पी।
बिहारी सोई जनु कहे, जो अंतर बसि ली॥
अर्थ: जीवन का सच्चा रस वही समझ सकता है जो भीतर से उसका अनुभव करता है।


भक्ति पर बिहारी के दोहे (Spiritual Dohe by Bihari)

८.
हरि बिन हृदय न रमसि, मन बिन हरि न थिर।
बिहारी कहे सो भाव से, हरि नाम सदा धिर॥
अर्थ: भगवान का स्मरण मन को स्थिर और जीवन को शांत बनाता है।

९.
भज मन हरि नाम नित, सब सुख सागर सोई।
बिहारी कहे जो नाम जपै, भव सागर तरि जोई॥
अर्थ: जो हरि नाम का जप करता है, वह जीवन के सभी दुखों से मुक्त हो जाता है।


बिहारी सतसई का महत्व

“बिहारी सतसई” केवल एक काव्य ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का संग्रह है। इसमें समाज, धर्म, राजनीति, प्रेम और मानवता के गहरे संदेश हैं।
आज भी बिहारी के दोहे स्कूलों, कॉलेजों और प्रतियोगी परीक्षाओं में पढ़ाए जाते हैं, क्योंकि उनमें संक्षिप्तता में गहराई का अद्भुत उदाहरण मिलता है।


कुछ और प्रसिद्ध बिहारी दोहे

क्रमांकबिहारी दोहाअर्थ
10रूप न देखो रूप को, देखो मन की रीत।व्यक्ति की सुंदरता नहीं, उसके स्वभाव को देखना चाहिए।
11करै सो भरे, जो बोले सो करे।अपने कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति को फल मिलता है।
12सुमति देखि सुभाषिणी, बिन कहे सब जान।समझदार व्यक्ति बिना कहे ही दूसरों के भाव को समझ लेता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

बिहारी के दोहे केवल साहित्य नहीं, बल्कि जीवन की सच्चाइयों का आईना हैं। उनके शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 400 साल पहले थे।
यदि आप जीवन में प्रेरणा, नीति और प्रेम का संतुलन चाहते हैं, तो बिहारी सतसई पढ़ना न भूलें।


FAQs – बिहारी के दोहे से संबंधित प्रश्न

प्रश्न 1: बिहारीलाल किस काल के कवि थे?
A: बिहारीलाल रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि थे।

प्रश्न 2: बिहारी की प्रसिद्ध रचना कौन सी है?
A: “बिहारी सतसई” उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है।

प्रश्न 3: बिहारी के दोहों का मुख्य विषय क्या है?
A: प्रेम, नीति, समाज और जीवन दर्शन।