क्यों कहा जाता है गणेश जी को लम्बोदर ?

 

क्या आपने कभी सोचा है कि गणेश जी को लम्बोदर क्यों कहा जाता है?

इसके पीछे एक रहस्यमयी और अद्भुत कथा है!

 

एक बार ऋषि अत्रि के पुत्र च्यवन ऋषि ने गणेश जी का बड़ा सुंदर पूजन किया। प्रसन्न होकर गणेश जी ने उन्हें वरदान दिया।

 

लेकिन तभी एक बार दैत्यगण बहुत शक्तिशाली होकर देवताओं को परेशान करने लगे। वे ब्रह्मांड में अराजकता फैलाने लगे। देवताओं ने मिलकर गणेश जी से प्रार्थना की –

“हे विघ्नहर्ता, आप ही इन दैत्यों का अंत कीजिए।”

 

गणेश जी मुस्कुराए और उन्होंने अपने विस्तृत उदर (पेट) को खोल दिया। सभी दैत्य उसमें समा गए और उनका नाश हो गया।

 

तभी देवताओं ने कहा – “आपका उदर समस्त सृष्टि को समाने में सक्षम है।

आप लम्बोदर नाम से प्रसिद्ध होंगे।”

 

रहस्य कहा जाता है कि गणेश जी का पेट केवल भोजन से भरा हुआ नहीं है। उसमें पूरी सृष्टि, समय और ब्रह्मांडीय ऊर्जा समाहित है।

 

यही कारण है कि उन्हें लम्बोदर कहा जाता है और उनका बड़ा पेट ज्ञान, धैर्य और विश्वधारण शक्ति का प्रतीक है।

 

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